Wednesday 26 July 2017

The Importance of the SAVAN month in Hinduism and the Rituals - 2


नमस्कार मित्रों ,
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। 
दोस्तों हमने सावन महीने का पौराणिक महत्व तो जाना। लेकिन भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु हमे और चीजों का भी त्याग करना होगा। जैसे की मांस, मदीरा और ऐसी कई अभक्ष्य चीजों का त्याग ज़रूरी है। सावन के महीने में बैंगन नहीं खाना चाहिए। इसमे धार्मिक के साथ साथ वैज्ञानिक कारण भी छिपा है। बरसात यानि वर्षा ऋतु में बैंगन में कीड़े लग जाते है। जो कई बार दिखाय नहीं देते। अगर ऐसे बैंगन हम ग्रहण करेंगे तो वह हमारे शरीर को काफ़ी हद तक नुकसान पहोंचा सकते है। वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। 


वही दूसरी चीजें है हरी सब्जियां। उसमे भी कीड़े लगे होते है। वह भी खाने के लिए वर्जित है। सबसे ज्यादा दुरी हमे दूध और दूध से बने पदार्थो से बनानी है। इसका भी वैज्ञानिक एवं धार्मिक कारण है। वर्षा ऋतु में  दूध देने वाले पशु ज्यादातर हरी सब्जियां ही खाते है। ऐसे में ख़राब और कीड़े वाली सब्जिया खाने से उनका दूध भी ख़राब ही बनता है। इसे पिने से हम बिमार बहोत बीमार हो सकते है। अगर दूध पिने की इच्छा हो तो उसे पहले ठीक तरीके से उबाल कर उसे स्वच्छ कपडे से छानकर ही पिए। 

इन सब के त्याग से हमारा शरीर स्वश्थ रहता है। और हमे अच्छा आरोग्य प्रदान होता है। आप भगवान शिव की या आप किसी और भगवान को मानते हो तो उसमें अपना ध्यान लगा सकते है। बरसात की ऋतु में हमारे पाचनतंत्र काफ़ी कमजोर हो जाता है। और हमारे जठर की अग्नि भी मंद हो जाती है। इसलिए हमे भारी खुराख नहीं खाना चाहिए। और इसलिए मांस और मदिरा जैसी अभक्ष्य चीजों को ग्रहण नहीं करना चाहिए। खासतौर पर हिन्दुओं को मांस और मदिरा से दूर ही रहना चाहिए क्योंकि इससे अपना धर्म और सेहत दोनों बने रहेंगे। 

धन्यवाद। 

जय हिन्द। जय श्री कृष्णा। 

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