Tuesday 25 July 2017

The Importance of the SAVAN month in Hinduism and the Rituals - 1

नमस्कार मित्रों। 
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। 

दोस्तों अभी भारत में सनातन हिन्दू धर्म का पवित्र  महीना सावन चल रहा है।  आप लोगभी जो हिन्दू संप्रदाय से ताल्लुक रखते है। वह इन सावन के महीने में विशेष भक्ति जैसे की जप , तप , उपवास , कीर्तन आराधना , जैसी विशेष उपाय करते और भगवान के प्रति अपनी भक्ति अदा करते है। सावन के महीने में विशेष भगवान शिव की पूजा -अर्चना की जाती है। उन्हें अलग अलग उपचारो से रिझाने का प्रयास समस्त भक्तगण करते है। आज हम सावन मास (मंथ)  के उस माहात्म्य को जानेंगे। 
हमारे हिन्दू सनातन धर्म के शास्त्रों ,  पुराणों और वेदो में बहोत रसप्रद रहस्य से भरे है। शिवपुराण में समुद्रमंथन का प्रसंग आता है। जब समुद्र मंथन हुआ ,उसमें अमृत और विष उत्पन्न हुआ। अमृत को देवताओं द्वारा ग्रहण किया गया और भगवान शिव शंकर महादेव  ने विष ग्रहण किया। 

सावन का महीना हिन्दू धर्म में काफ़ी महत्व रखता है। सावन के महीने से जुडी कई बातों का विवरण हमारे हिन्दू ग्रंथो में प्राप्त है. 

एक कथा के अनुसार के अनुसार ऋषि मृक्रंद और उनकी पत्नी मरुधमति पुत्र प्राप्ति के लिए शिव आराधना की। बड़ी कठिन तपस्या के पश्चात भगवान शिव प्रसन्न हुए , लेकिन उन्होंने पुत्र देनेके साथ एक शर्त भी रखीं और कहा की उन्हें बुद्धिमान बालक चाहिए या मंदबुद्धि , अगर वह बुद्धिमान बालक का चयन करते है तो उसकी आयु  बहोत कम होगी और  कुमार अवस्था में ही उसकी मृत्यु हो जाएगी। अगर मंदबुद्धि बालक को चुनेंगे तो वह लम्बा आयुष्य प्राप्त करेगा। 

पति पत्नी दोनों बुद्धिमान बालक का चयन करते है। वह धीरे धीरे समय पसार होता है । जब यह बालक  बड़ा होता है तो उसे इस पूरी घटना के बारे में बताते है। वह बालक इस श्राप से मुक्त होने के लिए घोर कठिन तपस्या करता है। इस दौरान उसके आयु की अवधि कम होती है और उसकी मृत्यु का समय नजदीक आता है। जब यमदूत उन्हें लेने के लिए आते है तो उसकी इस घोर तपस्या के प्रभाव से कोई इसे छू नहीं पाता। अंत में पराजित होकर खुद यमराज वह बालक की आत्मा को लेने आते है। 

यमराज अपने शस्त्र से जैसे ही उसकी आत्मा को पकड़ना चाहा वह शस्त्र शिवलिंग पे जा गिरा। इससे शिवजी बड़े क्रोधित होते है। और यमराज को वहाँ से चले जाने का आदेश देते है। उस बालक की तपस्या पुरे एक महीने तक चलती है। उस  समयसे  इस महीने को सावन के महीने से जाना जाता है। यह बालक बुद्धिमान होता है। जिन्हे मार्कंड़य ऋषि के नाम से जाना जाता है। 

तो दोस्तों इस कथा के अनुसार हर कोई व्यक्ति चाहे स्त्री हो या पुरुष अगर सच्चे मन से शिवजी की आराधना करेगा मृत्यु भी उससे १०० किलोमीटर दूर ही रहेगी। अर्थात वह आयुष्मान होगा।

दोस्तों इसके नेक्स्ट आर्टिकल में हम इस भक्ति से होने वाले लाभ और विज्ञान से जुडी बातों के बारेमे जानेंगे।
धन्यावद। खुश रहे। हमेशा हसते रहे। हमारे पाठकों को सावन महीने की शुभकामनाए। भगवान शिव आपकी हर मनोकामना पूर्ण करे वही उनके चरणों में प्राथना।

जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। 

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