Thursday 10 August 2017

The Amazing Benefits of The Doing Tilak or Chandalo And Tripund on forehead in Hindu rituals with Scientific Reasons -1

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LORD SWAMINARAYAN 
नमस्कार दोस्तों। 
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। 

दोस्तों पिछले दो दिनों से में आर्टिकल नहीं लिख पाया इसलिए आपसे क्षमा चाहता हुं। मेरे प्यारे पाठकों को धन्यवाद करता हु। दोस्तों आज फिर आपके सामने हमारे हिन्दू सनातन धर्म एवं विज्ञान से जुडी बातों को आप के सामने रख रहा हु। दोस्तों हमारी हिन्दू संस्कृति में तिलक, चांदलो और त्रिपुण्ड को हमारे ललाट पर लगाने की परंपरा सदिओं से अनादि समय से चली आ रही है। आज भी यह प्रथा है लेकिन खेद की बात यह है की हमारे हिंदुओ यह सब चीज़ो में विश्वास नहीं रहा , या फिर इसे अंधश्रद्धा का दावा कर उसे करने से इंकार कर रहे है। जो की गलत है।  कई लोग हिंदू होकर भी तिलक और त्रिपुण्ड करने में शरमाते है। उनको तिलक करना अच्छा नहीं लगता। और आज कल तो ऐसा माहौल है जैसे किसी तिलक और त्रिपुण्ड करे हुए आदमी को कहीं देख लिया तो ऐसे देखते है जैसे कोई आतंकवादी हो। 
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TILAK( U SHAPE) AND CHANDALO(RED MARK)


लेकिन मेरे प्यारे दोस्तों आज इसी गलतफैमी और जो उलझन है उसे सुलझाने के लिए ही यह आर्टिकल आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहा हु। 
यह बात बताने से पहले में आपसे कहना चाहूंगा की दोस्तों हमारे भगवान राम , भगवान श्री कृष्ण , और सभी देवी देवताओं और हमारे ऋषि परंपरा में भी तिलक और त्रिपुण्ड का एक अनेरा महत्व था और है। श्री पूर्ण पुरुषोत्तम  भगवान स्वामीनारायण ने भी अपने अनुयायी एवं समस्त हिन्दुओं को तिलक करने की आज्ञा दी है। आप लोग भगवान स्वामीनारायण के चरित्र एवं लीलाओँ के बारे में नहीं जानते होंगे। लेकिन जल्द ही मैं आपसे उनके द्वारा इस पृथ्वी पर किये गए कार्यो एवं उनकी लीलाओँ को आर्टिकल्स द्वारा प्रस्तुत करूँगा। 

चलिए अब जानते है तिलक और त्रिपुण्ड क्यों जरुरी है। और इसको करने से क्या लाभ प्रदान होता है। में तो कहता हु हर इंसान को चाहे वह किसी भी धर्म और जाति से हो उसे तिलक करना चाहिए। 

तिलक के साथ न केवल धार्मिक किन्तु वैज्ञानिक कारणों भी जुड़े हुए है। और आज हम और एक बार गर्व से कहेंगे की हिन्दू है। आज जो भी बातें विज्ञान सिद्ध कर रहा है उसका मूल कारण भारत के यह वेदो और शाश्त्र एवं धर्मग्रन्थ है।
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LORD SHIVA 

आम तौर पर चन्दन , कुमकुम , हल्दी , मिट्टी,भष्म आदि का तिलक लगाने की परंपरा है। अगर कोई इसे दिखाना नहीं चाहता है तो जल द्वारा भी तिलक किया जा सकता है। ऐसे भी विधान हमारे ग्रंथो में पाए गए है। इसके साथसाथ तिलक लगाने के मन्त्र के बारे में भी बताया गया है। 

ललाट पर भस्म , चन्दन आदि से तीन रेखाएं बनायीं जाती है उसे त्रिपुण्ड कहा जाता है। चन्दन या भस्म को तीन उंगलियों में लेकर तीन तिरछी रेखाओं को ललाट पर बनाते है। शिव महापुराण में कहा गया है की इन हर एक रेखाओं में देवता निवास करते है।  
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दोस्तों इसके आगे हम जानेंगे त्रिपुण्ड और तिलक से होने वाले लाभों के बारे में और उससे जुड़े मंत्रो के बारे में। 

धन्यवाद। जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। जय हिन्द। 

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