Monday, 7 August 2017

Kautilya(Chanakya) the Best Teacher , Philosopher ,Economist and Also a Royal Adviser -7

नमस्कार मित्रों। 
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। 

दोस्तों हम आचार्य चाणक्य के जीवन शैली और उनके विचारो का आदान प्रदान कर रहे है।  आचार्य चाणक्य का व्यक्तित्व प्रभावशाली मोहक और हर किसीको प्रेरणा दे वैसा था। आचार्य चाणक्य ने सिर्फ महान व्यक्तिओं एवं ऋषिओं के आदर्श जीवन पर से उन्होंने अपने अनुभव को चाणक्य निति के रूप में प्रस्तुत किया। वह इतने तीक्ष्ण बुद्धि वाले थे की उन्होंने प्राणिओ जैसे तुच्छ जिव के जीवन में से भी मनुष्य को ज्ञान लेने की बात कही। यह आचार्य चाणक्य की विचक्षण बुद्धि और सदैव गुणग्राहक दृष्टि रखने के विचार को तादृश्य करती है। आचार्य चाणक्य ने गधा , कौवा ,सिंह ,कुत्ता इन सभी प्राणीओ ं में हमेसा गुण को ही देखा। हमें भी ऊंच नीच का भेदभाव छोड़ हर प्राणीमात्र के गुण को ही देखना चाहिए। हमे गुणग्राहक दृष्टि ही रखनी चाहिए। दोस्तों चलो अब जानते है उनके विचारों के बारे में। .... 
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 यह छबि प्रतीकात्मक है। 


हमे प्राणीओं से यह सिख लेनी चाहिए। 

१.  सिंह से हम एक गुण को लेना चाहिए। बगुला से एक। मुर्गा से चार। कौवा से पांच। कुत्ते  से छह। और गधे से तीन गुण सिखने चाहिए। 

२. कार्य छोटा हो या बड़ा उसे जो कार्य करने लायक है उसे हर हाल में पूर्ण करना चाहिए। उसके लिए सब प्रयत्न करने  चाहिए वह उचित  है। यह हमें सिंह से सिखना चाहिए। 

३. विद्वान् पुरुष  को हमेसा अपने इन्द्रियों को संयम में रखकर देश , समय और  बल को संभलकर बगुला के सामान सब कार्य  धैर्य से करना चाहिए। यह गुण हमें बगुला से सीखना चाहिए। 

४.उचित समय में जागना , रण में उद्यत रहना ,बंधुओं को उनका भाग देना और आये दुश्मन को आक्रमण करके भोग करे। इन चार बातों  को हमे मुर्गा  से  सीखना चाहिए। 

५. छिपकर मैथुन करना।  धैर्य रखना।  समय होने पर घर आजाना।  संग्रह  करना। सावधान रहना और किसी पे  विश्वास न करना। इन पांच गुणों  को कौवे से सीखना चाहिए। 

६. बहुत खाने की  शक्ति और इच्छा होनें पर  भी थोड़े से ही संतुष्ट होना। गाढ़ नींद में रहते हुए भी फटाफट जाग जाना। अपने मालिक के प्रति वफ़ादारी और शूरवीरता यह गुणों  को हमें कुत्ते से सीखना चाहिए। 

७. अत्यंत थक जाने पर भी बोझे  को उठाना। महेनत करना , ठंडी और गर्मी को महसूस न  कर हमेसा महेनत से काम करते जाना। और सदा संतुष्ट रहकर जीवन व्यतीत करना यह बातों को हमें  गधे से सीखना चाहिए। 

तो मित्रों आप सभी को यह बात जानकर आनंद हुआ की नहीं। हम भी  इसी तरह से हमारे दृष्टिकोण को बदले और हमेंशा सदगुणों को ग्रहण करना सिख जाये। यही प्रार्थना के साथ हम आप से विदा चाहता हु। धन्यवाद। 

जय श्री कृष्णा। जय हिन्द। 

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