Thursday, 27 July 2017

The Unheard Story of Kurukshetra In Mahabharata

नमस्कार मित्रों।

आपका बहोत बहोत धन्यवाद। आज आप ही की वज़ह से मै अपनी १५ वी पोस्ट लिख रहा हु। 
आज मै आपको महाभारत में चर्चित उस लहू के मैदान के बारे में बताना चाहूंगा। यह मैदान की भूमि  हजारों लाखों योद्धाओं के रक्त से नहाई हुई है। उस रक्त के प्रभाव से आज भी वह भूमि लाल है। यह कुरुक्षेत्र आज हरियाणा (भारत ) में स्थित है। महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही लड़ा गया। लेकिन क्या आप को पता है इसका नाम कुरुक्षेत्र कैसे पड़ा ?  महाभारत के अनुसार कूरु वंश के प्रथम पुरुष थे। यह हस्तिनापुर के महान राजा हुए। इनके माता का नाम संवरण और माताजी का नाम ताप्ती देवी था। 

एक कथा के अनुसार कुरु ने इस क्षेत्रमें  को बार बार हल चलाया था। खेती की थी। बार बार जोता था। इसलिए इस क्षेत्र का नाम कुरुक्षेत्र पड़ा। जब राजा कुरु इस क्षेत्र की जुताई कर रहे थे तब इन्द्र ने इसकी वजह राजा कुरु को पूछी। 

तो राजा कुरु ने कहा की मेरी इच्छा है की जो व्यक्ति इस क्षेत्र में मारा जाये उसको सीधे स्वर्ग में स्थान प्राप्त हो। राजा कुरु की बात सुनकर इन्द्र हसने लगे। और वहा से चल गए। एसा कई बार हुआ। 

जब यह बात इंद्र ने अन्य देवतागण को बताई तो देवताओं ने कूरू को अपने पक्ष में लेने के सलाह दी। उनकी सलाह मानकर इंद्र, राजा कुरु के पास गए। और उन्हें कहा की यदि कोई पशु पंखी या मनुष्य निराहार रहकर कर या युद्ध करके यहाँ मारा जायेगा तो वह स्वर्ग में सीधे ही स्थान प्राप्त करेगा। कुरु ने यह बात मान ली। इस बात का ज्ञान भीष्म , श्री कृष्णा आदि को था। इसलिए कुरुक्षेत्र में महाभारत का युद्ध हो ऐसा तय हुआ।


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