Thursday, 27 July 2017

Hanuman The Ultimate Devotee of Lord Ram-1

नमस्कार मित्रों। 
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। 

हनुमान जी हिन्दू सनातन धर्म के भगवान है। और भगवान राम के परम भक्त मेसे एक है। हनुमानजी के बारे में हमारे ग्रन्थ रामायण में बड़ा विस्तार से विवरण मिलता है। रामायण में उनकी भगवान राम के प्रति जो भक्ति थी उसे सर्वोच्च स्थान पर दर्शाया गया है। इस भारतवर्ष के इतिहास में कदाचित ही कोई ऐसा उत्तम राम भक्त हुआ होगा। आज हम भगवान हनुमान से जुडी कई अनसुनी बातों के बारे में जानेंगे। 

हनुमान यानि शक्ति , सेवाभाव, निस्वार्थ , दयालु  यह सारे गुणों से संपन्न एक आदर्श भक्त। हनुमान बड़े ही चंचल स्वभाव के थे। रामायण के अनुसार हनुमार एक महान राम भक्त है और उन्हें  भगवान शिव का रूद्र अवतार माना जाता है। 

पुरे भारतवर्ष में हिन्दुओं द्वारा मंगलवार और शनिवार को विशेषरूप से  इनकी पूजा की जाती  है। हनुमान को अलग अलग देवतागणों से भिन्न भिन्न शक्तिया प्राप्त है। इसलिए उन्हें अलग अलग नामों से भी जाना जाता है। 

हम शिरोमणि  महाबली राम भक्त हनुमान के बारे में बड़ी ही रसप्रद बात जानेंगे। 

भगवान शिव के अवतार है हनुमान 

बहुत कम लोग जानते है की वह शिवजी के अवतार है। और वह अपनी माता के श्राप को हरने के लिए इस धरती पर अवतरित हुए थे। 

बजरंगबली ने धारण किया केसरिया स्वरुप 

एक दिन माता सीता अपने मस्तक में सिन्दूर लगा रहे थे। हिन्दू धर्म के अनुसार सिंदूर स्री का सौभाग्य का प्रतिक है। राम भगवान के लम्बे आयुष्य के लिए सीता माता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी। तब हनुमान जी ने माता सीता से पूछा की माता यह आप क्या कर रही है ? तब उत्तर में माता सीता ने कहा की इससे राम प्रस्सन होते है और उनका आयुष्य भी लम्बा होता है। यह सुन हनुमानजी ने पुरे शरीर पर सिन्दूर लगा लिया था। तभी से बजरंगबली को सिन्दूर चढ़ाने की परंपरा हमारे हिन्दू धर्म में है। इससे भगवान राम और हनुमान दोनों की कृपा हमारे ऊपर बरसने लगती है। 

हनुमान नाम कैसे पड़ा ???

अपनी ठोड़ी के आकर की वजह से बजरंग बलि का नाम हनुमान पड़ा। संस्कृत में हनुमान का मतलब है बिगड़ी हुई ठोड़ी। 

ब्रह्मचारि हनुमानजी पिता भी है 

बहोत कम लोगो को ज्ञात होगा की हनुमान जी को मकरध्वज नाम का पुत्र भी था। जब भगवान राम और सीता जी का वनवास चल रहा था। उसी दौरान रावण माता सीता का हरण कर लेता है। तब सीता की खोज में निकले भगवान राम को हनुमान मिलते है और सीताजी के खो जाने का पूरा वृतांत हनुमान को बताते है। हनुमान और उनके परम मित्र सुग्रीव और उनकी पूरी वानर सेना सीताजी की खोज में निकलते है। और भगवन राम तथा लक्ष्मण की सहायता करते है। 

अनगिनत प्रयासों के बाद भगवान राम को पता लगता है की रावण द्वारा सीताजी का अपहरण किया है। तब हनुमान अपने ऐश्वर्य से आकाश मार्ग से लंका पहोचते है। लंका की अशोक वाटिका में बैठे सीताजी को हनुमान जाकर मिलते है। हनुमान श्री राम के दूत होने का प्रमाण सीताजी को श्री राम द्वारा दी गयी मुद्रा के द्वारा देते है। हनुमान अशोक वाटिका के फलों को आरोग कर अपनी क्षुधा मिटाते है। और अशोक वाटिका को तहसनहस कर देते है। 

तब रावण के सेना के राक्षस हनुमान से युद्ध करते है। लेकिन कोई भी उनको पकड़ने में असमर्थ रहते है। तब रावण का पुत्र मेघनाद उन्हें पकड़ने जाता है और वह हनुमानको बंदी बनाकर रावण की सभा में लाता है। हनुमान जी को वहा बैठने का आशन नहीं दिया जाता और वह अपने पूँछ का आशन बनाकर बैठ जाते है। उनके इस सहस के कारण रावण उनकी पुँछ में आग लगाने का आदेश देता है। हनुमान अपनी जली हुई पुँछ से सारि लंका में आग लगा देते है। उस कारण आग के ताप से उनके शरीर से बहोत पसीना निकलता है। और लौटते समय वह पसीने की बून्द समुद्र में जा गिरती है। और वह मछली के पेट में चली जाती है। और उससे मछली को गर्भ धारण होता है। और उनसे मकरध्वज नामक बहोत ही शक्तिशाली पुत्र का जन्म होता है। 

धन्यवाद। 
दोस्तों हनुमान जी के बारे में अभी और भी जानना बाकि है।  वह हम नेक्स्ट आर्टिकल में जानेंगे। 
जय हिन्द। जय श्री कृष्णा। 



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