Thursday, 27 July 2017

108 Names of Lord Shri Hanuman

नमस्कार मित्रों। 
जय श्री कृष्णा।  हर हर महादेव। 

जैसे की हमने आपसे वादा किया था आज हम हनुमान जी के १०८  नामों को जानेंगे। जो उनके जीवन का सार है। उनके हर एक नाम के साथ उनके जीवन का पहलु जुड़ा हुआ है।  हनुमान के इन १०८ नामों का जाप करने से मन शांत एवं प्रफुल्लित रहता है।  हमारे जीवन में आने वाली हर कठनाई और दुःख का विनाश होता है।  हम रोग मुक्त हो सकते है।  जीवन के हर संकटमात्र हनुमान जी के नामो के स्मरण से समाप्त हो जाते है।  तो चलिए जानते  है उनके उन पवित्र नामावली को। 


  1. महावीर : सबसे शक्तिशाली वीरों के वीर। 
  2. हनुमत  : जिसके गाल फुले हुए हो। 
  3. मरुतात्मज : पवन देव के पुत्र पवन देव के लिए रत्न जैसे प्रिय। 
  4. आंजनेया : अंजना का पुत्र 
  5. तत्वज्ञानप्रद : मति (बुद्धि ) देने वाले। 
  6. अशोकवनकाच्छेत्रे : अशोक वाटिका  को  विनाश  करने वाले। 
  7. सीतादेवीमुद्राप्रद्काय : सीताजी अंगूठी भगवान् राम को देने वाले। 
  8. सर्वबंधनविमोक्त्रे : बंधन और मोह से मुक्त करने वाले। 
  9. सर्वमायाविभंजन : माया एवं छल के विनाशक। 
  10. रक्षोविध्वंस्कारक  : राक्षस और असुरों का नाश करने वाले। 
  11. परविद्यापरिहार  : दुस्ट आसुरी शक्तिओं को नाश करने वाले। 
  12. परशौर्यविनाशन: शत्रु के शौर्य को विनाश करने वाले। 
  13. परमंत्रनिरक्त्रे : राम नाम का जाप करने वाले। 
  14. सर्वग्रहविनाशी : ग्रहों के बुरे प्रभाव को नाश करने वाले। 
  15. परयन्त्रप्रभेदक : दुश्मनों की मंछा का नाश करने वाले। 
  16. भीमसेनसहायक : भीम के सहायक 
  17. सर्वलोकचारिणे : सर्व लोको में वास करने वाले अर्थात सर्वत्र व्याप्त। 
  18. सर्वदुखहारा : दुखों को दूर करने वाले। 
  19. मनोजवाया : पवन जैसे गतिवाले। 
  20. परिजतद्रुमःलस्थ : प्राजक्ता पेड़ के निचे वास करने वाले। 
  21. सर्वमंत्रस्वरूपवते : सभी मंत्रो के स्वामी। 
  22. सर्वयन्त्रात्मक : सभी यंत्रो में निवास करने वाले। 
  23. कपीश्वर : वानरों के देव। 
  24. कपिसेनानायक - वानर सेना का प्रमुख। 
  25. महाकाय : विशाल रूप। 
  26. प्रभवे : सबसे प्रिय। 
  27. सर्वतंत्रस्वरूपिणे : सभी मंत्रो और भजनों के आकार  वाले। 
  28. प्राज्ञाय : विद्वान। 
  29. वानर : बंदर। 
  30. केसरीपुत्र : केसरी के पुत्र। 
  31. रामदूत : भगवान श्री राम के दूत। 
  32. सगरोत्तकारक : सागर को उछल कर पार करने वाले। 
  33. श्रुंखलाबंदमोचक : तनाव को दूर करने वाले। 
  34. कारग्रहविमोक्त्रे :कैद से मुक्त कराने वाले। 
  35. महाबलपराक्रम :महान शक्ति के स्वामी। 
  36. गंधर्वविद्यातत्वज्ञ : आकाशीय विद्या के ज्ञाता। 
  37. चन्चलद्वालसन्नवलंबनामशिखोज्वला : जिनकी पूंछ उनके सर  से भी  अधिक  ऊँची है। 
  38. कुमारब्रह्मचारी : युवा ब्रह्मचारी। 
  39. भविष्यथ्चतुराननाय : भविष्य की घटना के ज्ञाता। 
  40. सर्वरोगहरा - सभी रोगोंको हर ने वाले। 
  41. बलसिद्धिकर 
  42. सर्वविद्यासम्पत्तिप्रदकाय - ज्ञान और बुद्धि देने वाले। 
  43. रत्नकुंडलदीप्तिमते-कान में मणि युक्त कुण्डल धारण करने वाले। 
  44. प्रतापवते- वीरता के लिए विख्यात। 
  45. अंजानगर्भसम्भूता - अंजना के गर्भ से जन्म लेने वाले। 
  46. विभीषणप्रिय - विभीषण के प्रिय। 
  47. बालार्कसद्रशासन - उगते सूरज के जैसे प्रकाशित (तेज वाले )
  48. दशग्रीवकुलान्तक - रावण के वंश का विनाश करने वाले। 
  49. वज्रकाय - धातु की तरह मजबूत शरीर वाले। 
  50. लक्ष्मणप्राणदात्रे -लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले। 
  51. महादयुत - सबसे तेजस्वी। 
  52. चिरंजीविने - सदा अमर रहने वाले। 
  53. रामभक्त -राम के भक्त। 
  54. अक्षहन्त्रे - रावण के पुत्र अक्षय का वध करने वाले। 
  55. दैत्यकार्यविघातक - असुरों दैत्यों की गतिविधिओ को नष्ट करने वाले। 
  56. कंचनाभ - सुनहरे शरीर वाले। 
  57. महातपसि - महान तपस्वी। 
  58. पंचवक्त्र - पाँच मुख वाले। 
  59. लंकिनी भंजन - लंकिनी का वध करने वाले। 
  60. सिंहिकाप्राणभंजन -सिंहिका प्राण हर ने वाले। 
  61. श्रीमते - प्रतिष्ठित। 
  62. गन्धमादनशैलस्थ - गंधमादन पर्वत पर निवास करने वाले। 
  63. सुग्रीवसचिव -सुग्रीव के मंत्री। 
  64. लंकापुरविदायक -लंका को जलने वाले। 
  65. शूर - साहसी 
  66. धीर - वीर 
  67. सुरार्चित -देवों  द्वारा पूजनीय। 
  68. पिंगलाक्ष - गुलाबी लोचन वाले। 
  69. कामरूपिणे - अनेक रूप धारण करने वाले। 
  70. वार्धिमैनेकपूजित - मैनाक पर्वत द्वारा पूजनीय। 
  71. विजितेन्द्रिय- इन्द्रियों को जितने वाले। 
  72. कबलीकृतमार्तण्डमण्डलाय - सूर्य को निगलने वाले। 
  73. रामसुग्रीवसंधात्रे -राम और सुग्रीव के बिच मध्यस्थ। 
  74. महारावणमर्दन - रावण का वध करने वाले। 
  75. स्फटिकाभा - एकदम शुद्ध। 
  76. नवव्याकृतपण्डित -सभी विद्याओ में निपुण। 
  77. वागधीश -प्रवक्ताओं के भगवान। 
  78. चतुर्बाहवे -चार भुजाओं वाले। 
  79. दीनबन्धुरा - दुखियों के रक्षक। 
  80. भक्तवत्सल - भक्तो के रक्षक। 
  81. महात्मा -महान आत्मा ( भगवन)
  82. संजीवननागहतरे - संजीवनी लाने वाले। 
  83. सुचये -पवित्र 
  84. वाग्मिने -वक्ता। 
  85. दृढव्रता  -कठोर तप करने वाले। 
  86. कलनेमिप्रमथन -कालनेमि का प्राण हर ने वाले। 
  87. हरिमर्कटमर्कटा - वानरों के ईश्वर। 
  88. दान्त - शांत। 
  89. शान्त - रचना करने वाले। 
  90. योगी -महात्मा 
  91. प्रसन्नात्मने - सदा प्रसन्न रहने वाले। 
  92. शतकंतमदापहते - शतकंटी के  अहम् को नाश करने वाले। 
  93. मकथालोलाय - भगवान राम की कथा सुनने के लिए व्याकुल। 
  94. सीतान्वेषणपंडित - माता सीता की खोज करने वाले। 
  95. वज्रद्रनष्ट-
  96. वज्रनखा - वज्र की तरह मजबूत नाख़ून वाले। 
  97. रुद्रावीर्यसमुद्धवा - भगवान शिव के अवतार। 
  98. इन्द्रजितपरहितमोघ्ब्राह्मास्त्रविनिवारक -इन्द्र के ब्रह्मास्त्र के प्रभाव को नष्ट करने वाले। 
  99. पार्थध्वजाग्रसंवासिने -अर्जुन के रथ पर विराजमान होने वाले। 
  100. शरपंजरभेदक - तीरों के घोसलों को नष्ट करने वाले। 
  101. दशबाहवे -दस भुजाओं वाले। 
  102. लोकपूज्य - सभी जीवो द्वारा पूजनीय। 
  103. जाम्ब्वत्प्रीतिवर्धन - जाम्ब्वत के प्रिय। 
  104. सीतारामपादसेवा - भगवान राम और सीता माता की सेवा में लीन रहने वाले। 
  105. दैत्यकुलान्तक - दैत्य के कुल का नाश करने वाले। 
  106. रामचूड़ामनिप्रदकाय - राम को सीता का चूड़ा देने वाले 
  107. महा तेजस - अधिकांश दीप्तिमान। 
  108. संकटमोचन - संकटो को हरने वाले।
धन्यवाद दोस्तों। 
जय श्री कृष्णा।  जय हिन्द। 


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