नमस्कार मित्रो ,
हमारे इस सुवर्ण इतिहास की यात्रा में हमने हमारे वेदो एवं पुराणों के बारे में जाना अब और ऐसे महान ग्रंथों के बारे में जानना है। वह है हमारे दो बड़े महाकाव्य महाभारत और रामायण। यह वो महान ग्रन्थ है जिसने भारतीय संस्कृती एवं उसकी महानतम सभ्यता और शिष्टाचार के ऊपर प्रकाश डाला. जिन्हे यह अंग्रेज और यवनो द्वारा काल्पनिक करार करा दिया गया। और इसे सिर्फ एक काल्पनिक महाकाव्य के रूप में हमारी इस नयी पीढ़ी के सामने प्रस्तुत किया गया। इसमें आश्चर्य और दुर्भाग्य की बात तो तब हुई जब हमने भी इसे काल्पनिक मानने लगे। आज भी कई सारे ऐसे हिन्दू है जो अपने इस महान काव्यों को काल्पनिक मानकरके अपने इस धर्म ग्रंथो के बारे मै अजीब से सवाल खड़े करते है। लेकिन में उन सारे दोस्तों को बताना चाह रहा हु की आज आप हमारे इतिहास के बारे में जानते है, सुना है याफिर टेलेविज़न पे निहारा है वह मै ऐसा नहीं बोल रहा हु की गलत है लेकिन उसमे बहोत कुछ ऐसा था जो सही तरह से दिखाया नहीं गया और हमारे इतिहास के साथ छेड़खानी करके हमारे सामने लाया गया। ऐसी बहोत सी चीजें थी वह गलत तरीके से सामने आयी और सब तोड़मरोड़ के दिखाया गया। हमे आज जो पाठशाला में हमारे इतिहास के बारे में पढ़ाया गया है और पढ़ाया जाता है वह भी कहिनकहि अधूरा सा है। रामायण मै भगवान राम की कथा प्रसंग को भगवान ऋषि वाल्मीकि ने लिखा। इसमें कई सारे प्रसंगो में और भगवान राम के अस्तित्व पर भी कुछ अभागे हिन्दुओ ने सवाल खड़े किये है ,वह बड़ी ही दुर्भाग्यपूर्ण बात प्रतित होती है । आज से करीब इक्कीस लाख वर्ष पूर्व भगवन राम इस भारत की विमल एवं पावन भूमि पर अवतरित हुए। जिनके अस्तित्व या होने ना होने पर आज के कुछ पढ़े-लिखे अनपढ़ सवाल खड़े कर रहे है। सवाल जैसे की अगर भगवान राम हुए और अयोध्या में उनका निवास था तोह फिर वहा पुरातत्व विभाग को कोई ऐसा महल या बस्ती क्यों नहीं मिली। या ऐसे मृदभंग क्यों नहीं मिले। रामायण में रामसेतु का भी वर्णन आता है। रामसेतु पर भी कई सारे सवाल खड़े किये गए है। जैसेकि कोई बन्दर के जरिये इस महानतम कार्य को कैसे पूर्ण कर योजनों दूर श्रीलंका तक पुल बांध सके। मेरे एक दोस्त ने तो ऐसा सवाल खड़ा किया की क्या बन्दर इतने पढ़े लिखे थे जो पत्थर पे राम लिखके उन्हें समन्दर में तैर ने के लिए फेंक दे। ऐसे बहोत से सवालों का मुझे अर्थपूर्ण और वैज्ञानिक तथ्यों के साथ आप के साथ चर्चा करनी है। और मुझे उन सब लोगों को जवाब देना है जो हम हिंदुस्तानी को अन्धविशवासी और अनपढ़ मानते है। हम हिन्दू मै भी जो अपने धर्म के प्रति जो अज्ञानता एवं निराशा है उनको भी अपने हिन्दू होने का और एक भारतीय होने का गर्व हो ऐसा हम सब को मिलकर करना है। और भी बहोत सी बातें है जो आपसे करनी है। आगे के बातो का इंतजार करे। आगे जानने के लिए कल फिर आप से मुलाकात होगी। धन्यवाद। खुश रहे और अपने हिन्दू होने पर गर्व करे। जय श्री कृष्णा। जय हिन्द। जय भारत
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