नमस्कार मित्रों ,
शुभ सांज ,
आप सभीको मेरा सादर प्रणाम। जय श्री कृष्णा।
दोस्तों जैसे की हमने दिनांक २० वाले आर्टिकल मै पुनर्जन्म एवं कर्म सिद्धांत के बारे में जाना। आज वह बात को आगे दोहराएंगे। पुनर्जन्म के सिद्धांत को समजने का प्रयत्न करेंगे। हमने देखा की सिर्फ हिन्दू सनातन धर्म मै ही पुनर्जन्म की स्वीकृति है। इस्लाम , यहूदी और ख्रिस्ती धर्म मै पुनर्जन्म के सिद्धांत को नकारा है। यह सभी सनाटिक धर्मो में कहा गया है की आत्मा जन्म लेती है। आत्मा उत्पन्न हुई है ऐसा उन लोगो का मानना है। इन सभी धर्मो के मुताबिक़ जब इंसान इस धरा (पृथ्वी )पर जन्म धारण करता है , वह उसका अंतिम जन्म है , और मृत्यु होने के पश्चात उसका शरीर एक कब्र मै दफ़न कर दिया जाये। और जब क़यामत का दिन आएगा तब अल्लाह उन सभी को कब्र से बहार निकालके उनके कर्म के हिसाब से जन्नत एवं जहन्नम नसीब कराएँगे। यह मै नहीं कह रहा। यह कुराने शरीफ में बयां किया गया है। इसके मुताबिक यह प्रतीत होता है की वह धर्मो मै पुनर्जन्म की स्वीकृति नहीं है। यह उनकी मान्यता है ,उनको मुबारक। किन्तु हम हमारे सनातन धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को साबित करते हुए वैज्ञानिक एवं दार्शनिक परिमाणों द्वारा समझने का प्रयत्न करेंगे। पुनर्जन्म के सिद्धांत समझने के पूर्व हमे देह और आत्मा दोनों एकदूजे से भिन्न है वह समझना होगा। किन्तु आप को यह प्रश्न भी होता होगा, अगर आत्मा और देह भिन्न है तोह आत्मा दिखाय क्यों नहीं देती। परंतु दोस्तों मै आपको बताना चाहूँगा की इस सृष्टि मै ऐसी अनेकों रचनाए है जिसे हम देखने के लिए असमर्थ है। यह मै आपको उदहारण के द्वारा समझाने का प्रयत्न करूँगा। जैसे की हमारी आँखों की भौं हमसे इतनी नज़दीक होने के बावजूद बिना आयने नहीं दिखाय पड़ती। और ठीक उसी तरह ब्रह्माण्ड मै रहे ग्रहों को और दूसरी खगोलीय घटनाओं को बिना टेलिस्कोप नहीं निहारा जा सकता। जैसे सूर्य के प्रकाश मै बाक़ी सब तारे जो आकाश मै स्थित है हमे नहीं दिखाय देते। उसी तरह आत्मा को देखने के लिए दिव्य दृष्टि की आवश्यक्ता है। आत्मा वह चेतना है जिसे ब्रह्मरुप होकर ही महसूस किया जा सकता है। ब्रह्मरुप यानी देह और आत्मा को भिन्न समझना। दोस्तों और भी कहीं सारे रहस्य पुनर्जन्म से जुड़े है। हमारे शास्त्रों मै जो कुछ लिखा गया वह एकदम सतिक है। परम सत्य है। हमारे शास्त्र तीनों कालो मै सत्य है , यानि त्रिकालाबाधित है , भूतकाल , भविष्य एवं वर्तमान काल मै भी उसे नहीं बदला जा सकता। आगे नए आर्टिकल मै यहीं बातों को विस्तार से जानेंगे। आप यह पढ़कर हमारा भी होंसला बढ़ाये रहे। अपने कमैंट्स के ज़रिये आपका सुझाव लिख भेजे। धन्यवाद।
जय हिन्द। जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव।
जय हिन्द। जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव।
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