नमस्कार मित्रों ,
जय श्री कृष्ण। हर हर महादेव।
दोस्तों पिछले दो आर्टिकल से हम पुनर्जन्म एवं कर्म सिद्धांत के बारे में बात कर रहे है , समझ रहे है , इनके ऊपर बड़ी चर्चा की है। दोस्तों यह सारे सिद्धांत हमारे ऋषि मुनिओ द्वारा दी गयी अमूल्य भेंट है। आज यह सिद्धांत के साथ साथ हमारे ऋषिओ ने किये नए संशोधनों और खोजो के बारे मै भी जानकारी प्राप्त करेंगे। मै आपको बताना चाहूंगा की आज का जो अंग्रेजी कलैण्डर है , और सदिओं से जो हमारा हिन्दू पञ्चांग है। उनमे दर्शाई गयी सारी खगोलीय घटनाए जैसे की , पूनम का चाँद हो, अमावस्या हो , चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण ये सारी घटनाओ को हमारे हिन्दू कलैंडर मै वर्णन किया गया है। यह सभी हमारे ज्योतिष विद्या का ही परिणाम है। आज जो वैज्ञानिक अपने मैथमेटिकल फार्मूला के द्वारा ग्रहो , नक्षत्रो एवं सूर्यग्रहण , चंद्रग्रहण के बारे में उस घटना के घटित होने के दो दिन पहले बताते है। वह हमारे ऋषिओ ने सदिओं से ज्योतिष शास्त्र के आधार से घर बैठे ढूंढ लिया था। आज दुनिया के कई सारे वैज्ञानिक इस तारण पर आये है की हर वैज्ञानिक प्रश्नो के समाधान हिन्दू तत्वज्ञान और हिन्दू शास्त्रों में छिपा है। किन्तु आजकी यह युवा पीढ़ी बहोत ही बौद्धिक और तार्किक हो गयी है। वह ख़ुद सवाल खड़ा करती है की स्वर्ग -नरक किसने देखा , पाप और पुण्य किसने देखा , आत्मा किसने देखी। आत्मा का ज्ञान क्यों जरुरी है। लेकिन यह बात उदाहरण के माध्यम समझेंगे। अगर कोई गाड़ी रास्ते से गुजर रही हो , और पुरे स्पीड से चल रही हो फिर भी उसे किस दिशा मै सफ़र तय करना है , वह उसका चालक ही बता सकता है। ठीक उसी तरह हमारे शरीर को चलाने के वास्ते ऐसे चेतन तत्त्व यानी की आत्मा की जरुरत है। जब आत्मा शरीर से निकलती है , उसके बाद शरीर नाशवंत हो जाता है। उसका मतलब आत्मा अविनाशी है और देह नाशवंत। और दोनों ही एक दूसरे से भिन्न है। ऐसी बहोत सी चीज़े है हमारे सनातन धर्म मै जो हमे हिन्दू होने का गर्व प्रदान करती है। इससे यह प्रतीत होता है की जो भी हमारे धर्म मै लिखा गया है। वह आज नहीं तो कल सोलह आने सच होने वाला है। दोस्तों अब बात करते है पुनर्जन्म की जिसका आप बेसब्र होकर जानना चाहते है। आपको बताना चाहूँगा की भले ही इस्लाम और ख्रीष्टी दोनों धर्म मै पुनर्जन्म की परिकल्पना ना की गयी हो। फिर भी ख्रिस्ती संप्रदाय के कई ऐसे लोग है , जो पुनर्जन्म एवं आत्मा को अनादि मानते है। और ऐसे कई वैज्ञानिक , अध्यापक , और तत्वचिंतक जो ख्रिस्ती है , पश्चिमी संस्कृति से जुड़े हुए है फिर भी पुनर्जन्म का स्वीकार करते है। और उन सभी लोगों जिन्होंने यह माना है। उनके बारे मै हम नेक्स्ट आर्टिकल मै जानेंगे।
धन्यवाद। शुभ रात्रि। जय श्री कृष्णा।
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