नमस्कार मित्रों।
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव।
हमने इस विषय के चौथे भाग में जाना की कई ऐसे लोग है ,जो परधर्मी यानि की हिन्दू ना होकर भी पुनर्जन्म के ऊपर विश्वास रखते। उनके विचारो एवं आदर्शो के बारे मै जाना। आज हम पुनर्जन्म के आखिरी पड़ाव मै है। और इसके बारे मै और जानने का प्रयाश करेंगे। मै आपको बताना चाहूँगा की पुनर्जन्म में विश्वास रखने वाले परधर्मीओ के साथ कैसा बुरा वर्तव किया गया। बात है इटली के गेओनार्दो ब्रूनो जिन्हे १६०० की साल मै जिन्दा जला दिया गया क्योंकि वह ख्रिस्ती धर्म के थे , और पुनर्जन्म मै विश्वास रखते थे।वहाँ के पादरी पुनर्जन्म का स्वीकार नहीं कर रहे थे। पादरीओ ने उन्हें कहाँ की वह पुनर्जन्म का विचार त्याग दे। लेकिन वह नहीं माने। उनकी राय उनके ही शब्दों मै "मानवी और आत्मा वह कोई आकस्मिक रूप से हुआ मिश्रण नहीं है , वस्तुतः आत्मा एक अनादि तत्त्व है। इसलिए आत्मा कभीभी उत्पन्न नहीं हो सकती। मै मानता हु की आत्मा अमर है , अविनाशी है। " दूसरे एक ब्रिटिश लेख़क जिनका नाम है स्वांग जेनिन्स कहते है "मानव के मन की अवश्था के पूर्व भी कोई ऐसी अवस्था होगी , जो प्राचीन काल के संतो रखते थे। नर और मादा के सम्बन्ध से आत्मा की उत्पत्ति शक्य नहीं है , नर और मादा सिर्फ आत्मा को रहने का घर यानी शरीर की रचना कर सकते है ,लेकिन वह आत्मा उत्पन्न नहीं कर सकते। " महान तत्वचिंतक प्लेटो नेभी कहा की "आत्मा अमर है।" इससे एक बात तो तय है की सिर्फ हिन्दू नहीं लेकिन मुस्लिम और ख्रिस्ती धर्म के लोग पुनर्जन्म में मानते थे ,और मान रहे है।
देखिये अगर हम सूरज के प्रकाश मै दिन में बाकी तारों को नहीं देख सकते , फिर भी वह तारों का झुंड वहां उपस्थित है। वह तारे वहां नहीं है या उनका अस्तित्व नहीं है ,यह हम नहीं कह सकते। ठीक उसी तरह हमने अपने देह , अपने शरीर की ओझल मै आत्मा का जो नित्य स्वरुप है उन्हें नहीं देख पा रहे है। यह हमारी गलतफैमी है की हमने हमारे देह को ही आत्मा का रूप मान लिया है।
अब मै आपको जो बताने जाने वाला हु वह अगर आप उस पर गौर फरमाएंगे तो बहोत कुछ ऐसा है जिसके बारे मै हमने पहले सोचा नहीं या फिर सोचना ज़रूरी नहीं समझा। देखिये पुनर्जन्म मै माननेसे बहोत से फ़ायदे ये। जो आपको भी सोचने पर मजबूर कर देंगे। मै बताना चाहूंगा की आज जोभी कोई दुःखी है या सुखी है , आज जो भी आतंकवाद है , या ऐसे कई संगीन अपराध करने वाले लोग है , जैसे की चोरी , लूट , बलात्कार , आत्महत्या ,और दुनिया के सारे देशों की समस्या जैसे की भ्रस्टाचार और आतंकवाद यह सभी अपराध और उपाधि इसी लिए है क्योंकि पुनर्जन्म और कर्म के सिद्धांत को स्वीकारा नहीं है। उसमे श्रद्धा नहीं है। दोस्तों यह आपको बड़ा ही अजीब लगेगा की यह मै क्या बोल रहा हु , क्या कह रहा हूँ। लेकिन दोस्तों यही एक सच है। परम सत्य है। आपके मनमें काफ़ी सवाल उठ रहे होंगे। हम आपको उसकाभी अर्थपूर्ण और सत्य उत्तर देंगे।
क्योंकि यह हमारा उत्तरदायित्व बनता है की ज्यादा से ज्यादा सही और सटीक जानकारी आप तक पहोंचे। आपको यह जवाब मेरे अगले आर्टिकल मै जरूर मिलेंगे। दोस्तों अब हमे रज़ा दे। खुश रहे।
जय हिन्द। जय श्री कृष्णा।
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