Tuesday, 25 July 2017

Reincarnation and karma Principle part 6


नमस्कार मित्रों ,

जय  श्री कृष्णा। हर हर महादेव। 
दोस्तों धन्यवाद आप इसी तरह हमारे आर्टिकल्स को पढ़ते रहिये , और हमारा हौसला बढ़ाते रहिये।  आप से जब भी बात करते है। हमारे विचारों का आप के साथ आदानपदान करते है तो बड़ा ही आनंद और उल्लास का अनुभव होता है। दोस्तों हम कई दिनों से पुनर्जन्म और कर्म से जुडी हर कड़िओ को आपके सामने प्रस्तुत कर रहे है। इनके बारे मै गहन विचारविमर्श कर रहे है।  आज उन्ही विषय को आगे बढ़ाते हुए जैसे की आप से कल बात हुई थी।  पुनर्जन्म के सिद्धांत को मानने से होने वाले लाभ के बारेमे  आज हम चर्चा करेंगे। 
कल हमने देखा की पुनर्जन्म में ना मानने की वजह से ही आतंकवाद , भ्र्ष्टाचार ,चोरी , बलात्कार जैसे गुनाहीत प्रवृतिओं में गिरे हुए है। और यह एक दयनीय समस्या है। इसका बस एक ही उपाय है , और वह है पुनर्जन्म एवं कर्म सिद्धांत में श्रद्धा रखना , विश्वास रखना। 

अब आप प्रश्न करेंगे की ऐसा क्यों तो दोस्तों इसका एक ही कारण है। सुनिए। पढ़िए। :)

अगर यह दोनों सिद्धांतो में दृढ विश्वास किया जाये (पुनर्जन्म और कर्म ) तो यह सारे दुराचार ख़त्म हो जाये। क्योंकि अगर हम आज ख़राब कर्म करेंगे तो इस जन्म याफिर अगले होने वाले जन्म में इसको भोगना ही है। लेकिन दुर्भाग्यवश हम में से कई लोग ऐसे जो कर्म एवं पुनर्जन्म में श्रद्धा नहीं रखते। आज जो आत्महत्या जैसे महान पाप बढ़ रहे है  क्योंकि आज के लोगों में  पुनर्जन्म में विश्वाश नहीं है। जो लोग आत्माहत्या का प्रयास करते है या उसे अंजाम देते है वह यह मान लेते ही की मृत्यु से उनके दुःखों एवं समस्याओ का अंत हो जायेगा। 

दोस्तों आज हर घर में ऐसे प्रश्न है , समस्याए है , दुःख है , तनाव है।  किसी को नौकरी की चिंता है , किसीको बीवी बच्चों की। किसी को गर्लफ्रेंड की चिंता है। और यह समस्याओं को सुल्झाने के लिए मृत्यु को ही परम उपाय मानकर आत्महत्या कर लेते है। 

दोस्तों मेरे भाईओ  और बहनों यह सब करने से पहले यह ज़रूर सोचना की यह बड़ा पाप ही। यह दुनिया के सारे धर्मो में लिखा है। चाहे वह हिन्दू हो, इस्लाम हो , ख्रिस्ती हो या यहूदी हो।  दुनिया का कोई भी धर्म यह करने की इजाज़त नहीं देता। और एक बात यह सब करने से पहले अपने माँ-बाप , अपने दोस्तों और अपने चाहनेवाले के बारे में जरूर सोचना। 

क्योंकि मृत्यु दुःख का अंत नहीं है। और आत्महत्या एक संगीन जुर्म। एवं हमारा अगला जन्म तो निश्चित है। आईये हम इसे एक उत्तम उदाहरण के द्वारा समझने का प्रयास करेंगे। अनुमान लगाइये की किसी व्यक्ति विशेष को २० साल की जैल की सज़ा हुई हो। और वह १० साल सजा काट ने के पश्चात जैल से भाग जाये। तो वह व्यक्ति गुनहगार तो पहले से था और ज्यादा गुनहगार ठहरेगा।और पुलिस उसे कहीं से भी धुंध लाएगी और सरकार उसे और दर्दनाक सजा देगी  क्योंकि उसने जैल से भागने की कोशिस की। अब आप ही बताईये उसने जो पहले गुनाह किया था उसकी सज़ा तो भुगतनी बाकि थी और फिर भी उसने जैलसे भागकर दूसरा गुनाह किया। तो अब उसे और ५ साल की सज़ा को भुगतना होगा। 

ठीक उसी तरह किसी व्यक्ति का अगर ७० साल का आयुष्य विधि ने तय किया है और उसे  अपना ७० साल के आयु को जिना आवश्यक है। अनुमान लगाइये की उसने अपने आयु के ४० वें साल में आत्महत्या की। तो उसके ३० साल आयु को भोगना बाक़ी था। तो अब जब उसका किसी और योनि में  नया जन्म होगा तोह भी उसको यह ३० साल का और ज्यादा भुगतना होगा। क्योंकि पुनर्जन्म के साथ-साथ हमारे कर्म भी हमारा पीछा नहीं छोड़ते।हमारा प्रारब्ध पिछा नहीं छोड़ता। हमें हमारे गुनाहों की सज़ा मिलेगी ही। अगर यह बात आत्महत्या और अपराध करने वाले व्यक्ति समझ जाये तो यह सारे दुराचार, दुःख की समाप्ति हो जाये।

दोस्तों आपको बताना चाहूंगा UNO के रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ भारत में हर साल २०००००  लोगों ने आत्महत्याएं की। उनमें ५२% युवा वर्ग था। १५ -२९ साल की उम्र के थे। आगे हम बाइबल में आने वाले कुछ रहस्यमय प्रसंग  के बारे में। उनपर उठे सवालों के बारे में बात करेंगे। ख़ुश रहे। धन्यवाद।
जय श्री कृष्णा।



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