नमस्कार दोस्तों।
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव।
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव।
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दोस्तों बड़े दिनों बाद फिर आपसे मुलाकात हुई है। आप सभी को जन्माष्टमी ( बर्थ ऑफ़ लार्ड कृष्णा ) की सुभकामनाए। आप सभी प्रगति की और बढे यही भगवान कृष्णा के चरणों में प्राथना। आप सभी प्यारे पाठकों को धन्यवाद। अभिनन्दन।
दोस्तों हमारे जीवन में हमारे विकार और दोषों का भी एक अहम् स्थान है। हमारे जीवन में सदगुणों के साथ साथ दुर्गुणों यानि मानस के विकार जैसे की क्रोध , मोह , माया , ईर्ष्या ,काम आदि ने भी हमारे पुरे जीवन पर प्रभाव डाला है। हमे प्रभावित किया है।
यह सारे विकार न केवल मनुष्य के जीवन के शत्रु है बल्कि यह सभी आदमी को विष के भांति खोख्ला कर देतें है। क्रोध उन में से सबसे बड़ा स्वाभाव दोष है। यह मानव जीवन में काफी उथल - पथल मचा देता है। क्रोधित आदमी कही भी शांति को नहीं पा सकता। वह हमेंशा दुःख और ग्लानि से पीड़ित रहता है।
दोस्तों आज हम क्रोध से लड़ने की कूंची को लेकर आये है। क्रोध को कैसे रोका जाये इस विषय पर हम गहन चर्चा करेंगे।
हमारे जीवन में कई ऐसे प्रश्न है , कई बार ऐसा होता है की कोई अगर कुछ गलती करदे , या फिर हमारी गलती होते हुए भी हम उसका अस्वीकार करते हुए किसी और पर यह दोष प्रस्थापित करते है। अपनी गलती पर भी हम किसी औऱ मनुष्य जैसे की हमारे सहाध्यायी हो , अपने माता-पिता हो , भाई -बहन , दोस्त हो उसपर हम क्रोधित हो उठते है।
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ऐसी परिस्थिति में हमे कैसे क्रोध करने से बचना चाहिए :
दोस्तों में आपको बताना चाहूंगा अगर आप सही है , आप ने कोई गलती नहीं की तब यह क्रोध आएगा ही नहीं , जब हम गलत होते है फिर भी अपने गर्व और स्वमान को ठेश लगने से हम अपनी गलतियों का अस्वीकार कर क्रोधित हो जाते है।
फिर भी आपका मन और आत्मा इसे समझने से इंकार कर रही है और आपको लगता है की आप सही है तो
में आप से बताना चाहूंगा की यह तो वैसे हुआ जैसे आप ही वकील और आप ही जज। अपनी ग़लती का अहसास और स्वीकार से ही क्रोध से बचा जा सकता है।
क्रोध से दूर रहने के लिए हमेसा शांत मन से विचार करना चाहिए , और अगर किसी को आपसे कार्य करवाना है तो ऐसे ही आदमी को काम सौंपे जो इसमें निपुण हो। ऐसा होने पर कार्य भी अच्छे से पूर्ण होगा। और क्रोधित होने की जरूरत ही नहीं रहेगी।
दूसरी बात यह की क्रोध को मूल से निकालने के लिए हमेंशा भगवान का नाम स्मरण करना उचित है। एक भगवन ही है जो हमारे मन के विकारों , हमारे दोषों को दूर कर शांति और सुख प्रदान करते है।
क्रोध मनुष्य का बड़ा ही शत्रु है और यह बीमारी दुनिया के हर देश और मनुष्यजाति में है। यह मनुष्य को कमजोर बनाती है। यदि आप को बलवान होना है तो क्रोध करने से बचे।
क्रोध ही सब बिमारिओं का मूल है , क्रोध से हाई ब्लूडप्रेससुर , अश्थामा , हृदय रोग आदि होने की संभावना बढ़ जाती है।
अगर कोई आपका अपमान करे या अन्याय करे तो इसे सहन करना सिख लीजिये। इसमें हमारी भलाई है। इसलिए किसी भी कारण में हमे क्रोध से दूर रहना चाहिए। अगर अपमान भी सहन कर लिया तो क्रोध का नामोनिशान हमारी जीवन में कही भी नहीं रहेगा।सहन करने की शक्ति से हमारे आत्मबल में भी अविश्वसनीय वृद्धि होगी।
हम सदा ही उन्नति और प्रगति के पथ की ओर बढेंगे। तो दोस्तों आज से हम निर्णय करेंगे की क्रोध से दूर ही रहेंगे। नेक्स्ट आर्टिकल में हम और उपायों के बारे में जानेंगे।
धन्यावान।
जय श्री कृष्णा। जय हिन्द।
nice one keep it up bro
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