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नमस्कार मित्रो।
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव।
दोस्तों हम आचार्य कौटिल्य के नीतिओं के बारे में बात कर रहे है। आज यह तीसरा अध्याय हम लिख रहे है। चाणक्य जी की वाणी त्रिकाल अाबाधित है। जो भूतकाल , भविष्य और वर्तमानकाल में भी निःसंदेह खरी साबित हुई है। अगर उनके द्वारा दिए गए निति नियमों को मनुष्य जीवन में उतारलें तो उनका जीवन सुवर्ण कमल की तरह खिल उठे। और कस्तूरी की तरह उनका जीवन महक उठे। जीवन में सदा ही आनंद और सुख का अनुभव हो जाये।
तो दोस्तों देर ना करते हुए हम आचार्य चाणक्य जी के वाणी विचारों को यहाँ वर्णन करेंगे :
१ आचार्य कहते है की " किस आदमी कुल में दोष नहीं है ? कितने ऐसे प्राणी है जो किसी प्रकार के रोग से ग्रसित नहीं है ? कौन ऐसा मनुष्य इस धरा पर है जिसके जीवन में सुख है। इसलिए जीवन से हार कर बैठ जाना किसी भी परेशानी या दुःख का हल नहीं है। ऐसे बैठे रहने से समस्या का हल नहीं हो सकता।
२ अपने धन का नाश , मन का संताप , स्त्री का चारित्र्य , नीच मनुष्य की कही बात और अपना अपमान , इनको किसी भी बुद्धिमान चतुर मनुष्य के सामने जाहिर ना करे वही बेहतर है।
३ हर मित्रता के पीछे स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं है , जिसके पीछे लोगों के स्वार्थ न छिपे हो। यह एक कड़वा सत्य है। किन्तु यही सत्य है।
४ शिक्षा ही सबसे अच्छी मित्र है ,एक शिक्षित व्यक्ति को ही हर जगह सन्मानित किया जाता है। शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती हैं। यानी ज्ञानी के आगे दुनिया अपना सर झुका देती है।
५ जो स्त्री पराये घर में रहती है , जो पेड़ नदी किनारे रहते है , और जो राजा मंत्री न रखता हो यह तीनों जल्द ही नष्ट हो जाता है। राजा मंत्री के बिना अधूरा है , नदी किनारे वाले पेड़ भी बाढ़ में बह जाते है।
६ जो हमसे हो गया है , वह हो गया। यदि हमसे कोई गलत काम हो गया है , तो उसकी चिंता न करते हुए वर्तमानं को सुधारकर भविष्य को सुधारना चाहिए , उसे संवारना चाहिए।
७ द्वारपाल , नौकर, राहगीर , भूखा व्यक्ति , विद्यार्थी और डरे हुए व्यक्ति को नींद से जल्द ही उठाना चाहिए , वरना अनिष्ट घटना घटित होने की संभावना ज्यादा होती है।
८ बुद्धिमान व्यक्ति का कोई शत्रु नहीं होता , किन्तु बुद्धिहीन और मूर्ख व्यक्ति के अनेको शत्रुओं से घिरा हुआ होता है।
९ हर मातापिता को अपने बच्चे को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो , छह साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशाशन एवं शिक्षा और संस्कार देने चाहिए , सोलह साल से उनके साथ मित्र के जैसे व्यव्हार करना चाहिए। क्योंकि आपकी संतान ही आपकी सबसे श्रेष्ठ मित्र है।
१० ईश्वर परमात्मा परमेश्वर चित्र में नहीं चरित्र (चारित्र्य , शील) में निवास करते है। इसलिए अपनी आत्मा को मंदिर की भांति पवित्र बनाओं।
११ ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या निचे के है उसने मित्रता नहीं करनी चाहिए , वह तुम्हारे कष्टों और दुखो का कारन बनेंगे , समान स्तर के मित्र सुखदायी होते है।
यह पांच बाते जो सायद ही आप जानते होंगे... .....
स्त्रिओं में यह पुरुषों से ज्यादा होता है। आचार्य चाणक्य इसके स्त्री के इन गुणों के बारे में बताते है की.....
१ महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा अधिक भूख लगती है। उन्हें पुरुषों की तुलना में दो गुना ज्यादा भूख लगती है।
२ पुरुषों की अपेक्षा स्त्री अधिक बुद्धिशाली और चालाक होती है। स्त्री में यह गुण चार गुना अधिक होता है।
३ महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा साहस भी अधिक होता है। यह गुण उनमें छह गुना अधिक होता है।
४ महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा कामेच्छा भी अधिक होती है। यह गुण उनमें आठ गुना अधिक होता है।
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