Thursday 3 August 2017

SHIV SVARODAY GIVES HAPPY PROSPEROUS HEALTHY LIFE- 2

नमस्कार दोस्तों।
जय श्री कृष्ण।  हर हर महादेव।

दोस्तों हमने लास्ट आर्टिकल में शिव स्वरोदय के बारे में जाना। हम  इस आर्टिकल में हम साधना के साथ साथ दिनचर्या में लेने वाले सावधानी के बारे में जानेगे।

अपनी दिनचर्या के कार्यों को निम्नलिखित कार्य स्वर के अनुसार ही करे :

१ शौच सदा दाहिने स्वर के प्रवाहकाल में करे और लघुशंका (मूत्र विसर्जन )बाए स्वर के प्रवाहकाल में।
२ भोजन दाहिने स्वर के प्रवाहकाल में करे और भोजन के तुरंत बाद १०-१५ मिनट तक बाईं करवट लेटें।
३ पानी सदा बाएं स्वर के प्रवाहकाल में पिएं।
४ दाहिने स्वर के प्रवाहकाल में सोएं और बाएं स्वर के प्रवाहकाल में उठें।

कार्य स्वर के अनुसार करने से शुभ परिणाम मिलते है।

१ घर से बाहर जाते समय जो स्वर चल रहा हो।  उसी पैर से  दरवाज़े से बहार पहला कदम रखे।
२ दूसरों के घर में प्रवेश करते समय दाहिने स्वर का  प्रवाहकाल उत्तम होता है।
३  जन सभा को सम्बोधित करने या अध्ययन का प्रारंभ करने  के लिए बाएं  स्वर का चुनाव करना चाहिए।
४ ध्यान , मांगलिक कार्य आदि प्रारम्भ , गृहप्रवेश आदि के लिए बायां स्वर चुनना चाहिए।
५ लम्बी यात्रा बाएं स्वर के प्रवाहकाल में और छोटी यात्रा दाहिने स्वर के प्रवाहकाल में प्रारम्भ करनी चाहिए।
६ दिन में बाएं स्वर का और रात्रि में दाहिने स्वर का चलना शारीरिक , मानसिक , बौद्धिक और आध्यात्मिक दृस्टि से सबसे अच्छा माना गया है।

इस प्रकार धीरे धीरे एक एक कर स्वर विज्ञानं की बातों को अपनाये हुए हम अपने जीवन में अदभूत सफ़लता प्राप्त कर सकते है। इस विषय को यही विराम देते हुए हम आपसे से विदा चाहते है।  शिव स्वरोदय के श्लोको के बारे में हम आगे जानेंगे।
धन्यवाद।
जय श्री कृष्णा। हर हर महादेव। जय हिन्द। 

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